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लत लगी है खुद से खुद को पाने की!

लत लगी है खुद से खुद को पाने की... सारी ज़ंजीरें तोड़ कर, खुद को आझमाने की... सब कुछ पीछे छोड़ कर खुद को कुछ दिलाने की... सारी बुराइयों का झाल तोड़ कर, अच्छाइयों से मिलने की... खुद की इच्छा और उम्मीदों पे कायम होने की... लत लगी है खुद से खुद को पाने की... वक़्त आ गया हर उस शख्स का नाम रोशन करने का,जिसने मेरे लिए दुआ की... वो इनायत है रब की मुजे मुझसे मिलाने की... सपनो में नहीं होश आे हवास में कुछ कर जाने की... लत लगी है खुद से खुद को पाने की...